2023 में ग्यारहवीं शरीफ कब है 11 Sharif kab hai

ग्यारहवीं शरीफ एक सुन्नी मुस्लिम द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार है जिसे इस्लाम के अंदर एक महान संत अब्दुल कादिर जिलानी की याद में मनाया जाता है ऐसा माना जाता है कि वह पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम के वसंत है क्योंकि उनकी मां इमाम हुसैन की वसंत थी जैसे कि अब्दुल कादिर जिलानी पैगंबर मोहम्मद के पोते थे 

इसलिए बहुत से लोग ये जानना चाहते हैं की इस बार ग्यारहवीं शरीफ कब हैं तो आइये जानते हैं की इस साल २०२३ में ग्यारहवीं शरीफ किस दिन किस तारीख को और किस महीने में होगी.

2023 में ग्यारहवीं शरीफ कब मनाई जाएगी

साल 2023 में ग्यारहवीं शरीफ का त्योहार 26 अक्टूबर की शाम से जुम्मे के दिन मनाया जाएगा

आप चाहे तो 26 अक्टूबर को गौस पाक की नियम कर सकते हैं वैसे तो आप बाद में भी कभी भी गोसे पाक की नियाज़ की फातिहा दिला सकते हैं लेकिन आप चाहे तो जिस दिन गौसे पाक का उर्स होता है उसे दिन गौसे पाक की नियाज और फातिहा कर सकते हैं इस साल 26 अक्टूबर को ग्यारहवीं शरीफ मनाई जाएगी अब ज्यादा वक्त नहीं है आप हजरात तैयारी कर ले 

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ग्यारहवीं शरीफ क्यों मनाई जाती है 

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि हमारे सरकार रहमतुल्लाह आले का महीना मुबारक चालू हो चुका है यारी शरीफ का महीना आ चुका है तो बहुत से लोग इसमें लोगों से सबूत मानते हैं और लोगों से पूछते हैं की ग्यारहवीं शरीफ आखिर क्यों मनाई जाती है

बहुत से लोग तो इसका जवाब दे देते हैं लेकिन कई लोगों को यह पता ही नहीं की क्यों मनाई जाती है और इसकी हकीकत क्या है और इसमें हमें क्या-क्या करना चाहिए तो इसलिए हम लेकर आए हैं आपके लिए एक नई पोस्ट जिसमें हम आपको बताएंगे कि 11वीं शरीफ क्यों मनाई जाती है

ग्यारहवीं शरीफ यानी ११ रबी उस सानी को हुजूर गौसे पाक रजि अल्लाह ताला अन्हा का विसाल मुबारक हुआ था इसलिए उनको चाहने वाले लोग हर साल  ११ रबी उस सानी  को 11वीं शरीफ मानते हैं और ईसाले सवाब करते हैं फातिहा दिलाते हैं नियाज करते हैं और गरीबों दोस्तों रिश्तेदारों को नियाज का खाना खिलाते हैं 

जब भी 11वीं शरीफ आती है तो हर गांव और हर मोहल्ले में नियम होती है और दिए गए चढ़ती है फातिहा होती है और लोगों को खाना भी खिलाया जाता है बहुत सी जगह पर तो बड़े-बड़े प्रोग्राम भी होते हैं और जलसे होते हैं जिसमें मौलाना मौलवी लोग तकरीर करते हैं और हुजूर गौसे पाक की जिंदगी के बारे में बताते हैं उनकी जिंदगी से सीखने की कोशिश की जाती है कि क्योंकि सभी जानते हैं कि गौस पाक कितने बड़े वली थे कितने परहेज़गार और इस्लाम के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजारा करते थे

ग्यारहवीं शरीफ करने में कितना सवाब मिलता है| 

ग्यारहवी शरीफ इस्लामिक कैलेंडर के रबी उस सानी महीने में आती है जो 12 रबी उल अव्वल के बाद आता है

सुन्नी मुस्लिम ग्यारहवीं शरीफ के त्यौहार को बहुत ही खुशी के साथ मनाते हैं यह हर साल रवि उसे सनी के महीने में यह दिन उनकी याद के लिए मनाया जाता है|

इस दिन उल मां और मौलवियों द्वारा लोगों को हजरत अब्दुल कादिर जिलानी के विचारों के बारे में बताते हैं और बहुत सारी जगह पर मिलाद शरीफ और भी बहुत सारे कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है |

कुछ लोग हमारे भोले भाले सुन्नी मुसलमान भाइयों से उल्टे सीधे सवाल करते रहते हैं और पूछते रहते हैं 11वीं शरीफ क्यों मनाते हो इसका सबूत कहां से है यह तो जायज नहीं है इसे नहीं मानना चाहिए आज हम साबित करेंगे 11वीं शरीफ मानना जायज ही नहीं बल्कि खैरो बरकत और सवाब का काम है

आप तमाम औलिया इकराम के सरदार है अल्लाह ताला के नेक बंदों की याद मानना अल्लाह ताला की सुन्नतें करीमा है इसलिए ग्यारहवीं शरीफ मनाना बहुत ही सवाब का काम है 

ग्यारहवीं शरीफ की नियाज़ क्यों करते हैं`

गौस पाक फरमाते हैं कि मुझे जब मैं ईमान के दफ्तर को उलट पलट कर देखा नेकियां के दफ्तर को उलट पलट कर देखा तो ईमान के बाद मुझे सबसे बड़ी नेकी खाना खिलाना लगी मैं अल्लाह से दुआ करता हूं अल्लाह मुझे कायनात की दौलत दे तो मैं अल्लाह की हर मखलूक को खिलाओ इसलिए के खिलाना बड़ी नेक है

क्योंकि मुसलमान को सिर्फ नहीं भूखे को उसके और जहन्नम के दरमियान साथ पर्दे गिराए जाते हैं एक परदे से दूसरे पर्दे का फैसला 1000 साल का होता है यानी एक लुकमें पर इतना जहन्नम से दूर कर दिया जाता है 7000 साल के फासले पर पेट भर के खिलौने पर क्या होगा जो आज लूट मार करके खा रहे उनको पता नहीं है कि खाने की फजीलत नहीं है खिलाने की फजीलत है| 

निष्कर्ष:-

ग्यारहवीं शरीफ सुन्नी मुस्लिम संप्रदाय द्वारा मनाये जाने वाला एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत अब्दुल क़ादिर जीलानी को समर्पित है। ग्यारहवीं शरीफ का पर्व महान इस्लामिक ज्ञानी और सूफी संत हज़रत अब्दुल क़ादिर जीलानी के याद में मनाया जाता है। इस दिन बगदाद स्थित उनकी मजार पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। इस दिन बगदाद में दर्शनार्थियों का एक मेला सा उमड़ पड़ता है और कई सारे श्रद्धालु तो मजार पर एक दिन पहले ही आ जाते है। ग्यारहवीं शरीफ का पर्व एक काफी महत्वपूर्ण अवसर है, यह दिन ना सिर्फ हजरत अब्दुल क़ादिर जीलानी को श्रद्धांजलि के रुप में समर्पित है बल्कि के उनके द्वारा दी गयी शिक्षाओं को भी समर्पित है।

तो दोस्तों उम्मीद हैं आप समझ गए होने की इस साल २०२३ में ग्यारहवीं शरीफ शरीफ कब है और ग्यारहवीं शरीफ का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है अगर आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं.

मैं AR पिछले 4 साल से ब्लॉग्गिंग कर रहा हूं. मुझे ऑनलाइन शॉपिंग और प्रोडक्ट रिव्यू की जानकारी दिखाना और देखना बहुत अच्छा लगता है.

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