कजा-ए-उमरी नमाज पढ़ने का तरीका सुन्नी qaza e umri namaz padhne ka tarika sunni 

अस्सलाम वालेकुम नमाज पढ़ने का सही तरीका क्या है अगर आप नहीं जानते कि आपकी पूरी जिंदगी की नमाज जो पैदा हो गई है उसे अदा करने का तरीका मालूम हो जाए तो आप इस लेख को ध्यान से देखिए हम आपको बता रहे हैं |

अगर कोई इंसान 12 साल में बालिग हुआ है और वह 30 की उम्र से नमाज पढ़ना शुरू किया है तो जिसके 18 साल की नमाज बाकी रह गई है तो क्या 18 साल की नमाज पढ़ना होगा 

सबसे पहले आपको यह देखना होगा कि मैं सोच समझ कर जानबूझकर छोड़ने और दूसरी बात  नमाज अनजाने में नींद की वजह से छूट गई है या फिर अनजाने में छूट गई होगी या फिर नींद की वजह से छूट गई हो  उसी को कजा नमाज पढ़नी चाहिए 

आपको सबसे पहले इस बात पर ध्यान देना होगा कि अगर जब कोई अल्लाह बात सुभान वतन की बारगाह में सच्चे दिल से तौबा करता है फिर उसके बाद उसकी नमाज सजा होती है तो उसकी कदर करना लाजमी होती है

इसलिए आपको सबसे पहले कजा नमाज पढ़ने का तरीका सीखना चाहिए नाकी कजा ए उमरी नमाज पढ़ने का

  • क़ज़ा नमाज़ कब पढ़ना चाहिए? 
  • कजा नमाज का तरीका 
  • कजा नमाज की नियत 
  • फज्र की कजा नमाज कैसे पढ़े
  •  Fajar ki Qaza Namaz Ki Niyat
  •  फजर की नमाज का टाइम
  •  Fajar ki Qaza Namaz ki Rakat
  •  Qaza namaz ka tarika pdf

कजा उमरी नमाज़ पढ़ने की नियत क्या है?

नियत कि मैंने मेरे जिम्मे में जितनी फर्ज की नमाज बाकी है उनमें से पहले नमाज अदा करने की वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर |

इसी तरीके से हर नमाज़ में नियत करते हैं फजर की पढ़ना हो तो फजर का रहने दो हर की पढ़ना हो तो जोहर करना इसी तरह की नियत करें|

कजा नमाज पढ़ने का वक्त कब तक रहता है ?

दोस्तों कल नमाज का कोई वक्त नहीं होता है और बहुत से भाई बहन यही सोचते हैं की कदर नमाज कैसे पढ़े इसका वक्त कब होता है आप कभी भी कजा नमाज पढ़ सकते हैं

जैसा अगर आपकी फजर की नमाज पैदा हो गई है और अभी जोहर का वक्त हो रहा है तो आप पहले फजर की कदर नमाज पढ़ेंगे उसके बाद ही सुबह की नमाज पढ़ेंगे

इसी तरह अगर आपकी जौहर की नमाज का जाओगे और आप असर की नमाज पढ़ने जा रहे हैं तो आपको पहले जोहर की कजा नमाज को पढ़ना होगा फिर उसके बाद ही आप असर की नमाज पढ़ सकते हैं

कोशिश करें कि आपकी नमाज का जाना हो पाए आप उसे नमाज को उसके वक्त में ही पड़े अगर किसी वजह से या किसी मजबूरी हो तो वह अलग बात है|

फजर की कजा नमाज की नियत कैसे करते हैं

नियत का जिक्र जवान से करना जरूरी नहीं है लेकिन दिल में पक्का कर लेना काफी है अपने दिल में महसूस करें कि आप फजर की कदर नमाज अदा करने के लिए जा रहे हैं 

फजर की अजान नमाज की नियत करते वक्त इस बात कभी ख्याल रखेंगे आप पूरी नियत से और बिना किसी शर्त के फजर की खबर नमाज अदा कर रहे हैं 

नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज कजा फजर की वास्ते अल्लाह ताला के मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाह हू अकबर इस तरह से फजर की कजा नमाज की नियत को दिल से साफ करके अल्लाह के सामने खड़े होकर नमाज़ अदा करना चाहिए |

उम्मीद करती हूं कि आपको मेरी यह नमाज से जुड़ी हुई जानकारी पसंद आई होगी अगर पसंद आई हो तो लाइक कमेंट शेयर जरूर करें और दोस्तों को ज्यादा से ज्यादा व्हाट्सएप इंस्टाग्राम फेसबुक पर शेयर करें शुक्रिया 

मैं AR पिछले 4 साल से ब्लॉग्गिंग कर रहा हूं. मुझे ऑनलाइन शॉपिंग और प्रोडक्ट रिव्यू की जानकारी दिखाना और देखना बहुत अच्छा लगता है.

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