2025 में कुंडे कब है | कुंडों का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

कुंडों का त्यौहार  हर साल हिजरी कैलेंडर के हिसाब से मनाया जाता है| कुंडे का त्यौहार हिजरी कैलेंडर में 22 रजब   को मनाया जाता है | 2025 में गुंडों का त्यौहार 13 फरवरी 2025 को मनाया गया था| ऐसे बहुत से मिलाते इस्लामिया भाइयों का कहना है कि कुंडे की फतेहा 22 रजब को मनानी चाहिए |

2025 में कुंडा का त्यौहार कब मनाया जाएगा आज आप जानने हमारे इस आर्टिकल में जानने के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें |

इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से यह त्यौहार  22 रजब को मनाया जाता है| लेकिन अंग्रेजी ताली हर साल चेंज होती रहती है और इस वर्ष 2025 में कुंडे का त्यौहार 2 या 3 फरवरी को मनाया जाएगा | 

कुंडों का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

कुंडों का त्यौहार हजरत इमाम जाफर सादिक रहमतुल्ला अलेह की याद में मनाया जाता है| लोग अपने अपने घर पर खीर-पूड़ी  बनाकर मिट्टी के बर्तन में रख कर दुरूद  फातिहा  कराते हैं और मुराद मांगते हैं| हजरत इमाम जाफर सादिक  रजि अल्लाह ताला उनकी दुआएं कुबूल फरमाता है | उस दिन जो लोग  दुआएं करते हैं वह फिर अगले साल कुंडों को भरते हैं यानी कि कुंडों की फातिहा कराते हैं |

22 रजब के दिन सुबह फजर की नमाज के बाद लोग अपने अपने घर कुंडों की फातिहा की तैयारी करने लगते हैं |कुंडों की फातिहा का कोई समय निर्धारित नहीं है आप फजर की नमाज के बाद दिन में किसी भी समय कुंडों की  फातिहा करा सकते हैं |


लकड़हारे की कहानी भी बताती है कि कुंडों त्यौहार क्यों मनाया जाता है |

आपने लकड़हारे की कहानी तो सुनी ही होगी या कहीं पड़ी होगी उसमें बताया गया है कि लकड़हारा किस तरह परेशान होता है और उसकी बीवी जब उसके लिए कुंडों की फातिहा बोलती है| तो वह किस तरह अमीर होता चला जाता है उसकी हर मन्नत मुराद पूरी हो जाती है| लोग इस कहानी से भी सीख लेते  है कुंडों का त्यौहार मनाने के लिए |और हजरत इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह से जो मुराद मांगता है उसकी मुराद पूरी भी हो जाती है  और इसीलिए लोग कुंडों का त्यौहार मनाते हैं |

कुंडे की फातिहा देने का तरीका हिंदी में |

कुंडे की फातिहा में क्या क्या पढ़ा जाता है, जाने हिंदी में पूरी जानकारी|हम आपको बहुत ही अच्छे  और सरल तरीके में बताएंगे की कुंडे की फातिहा में क्या क्या पढ़ा जाता है | तो यह जानते कि कुंडा की  फातिहा में क्या क्या पढ़ा जाता है |

तरीक़ ए रजब के कुंडे की फ़ातिहा

 दुरुद शरीफ़  – एक बार । 

क़ुलया अय्युहल काफ़िरून  – एक बार । 

क़ुलहुवल्लाहु अहद  – तीन बार । 

क़ुल अऊज़ो बिरब्बिल फ़लक़  – एक बार । 

क़ुल अऊज़ो विरब्विन्नास  – एक बार ।

अल्हमदो शरीफ़  – एक बार । 

अलिफ़ लाम मीम मुफ़लिहून तक  – एक बार ।

 वइलाहुकुम ( अगर याद हो )  – एक बार ।

फातिहा के बाद दुआ कैसे करें |

या अल्लाह या परवरदिगार या रहमान या रहीम जो कुछ क़ुरआन अज़ीम की तिलावत की गयी है और दुरूद शरीफ़ वग़ैरह पढ़ा गया और जो कुछ शीरीनी नियाज़ वगैरह मौजूद है इस सबका सहीह सहीह तिलावत और तय्यब व ताहिर नियाज़ का सवाब आक़ा ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाहे नाज़ में पेश करते हैं तू अपने फ़ज़्ल व करम से क़ुबूल फ़रमा|

 बादहू जुमला अम्बिया अलैहिमुस्सलाम , सहाब ए किराम , ताबईन , तब ताबईन तेरी बारगाह के सारे मक़बूल वन्दों और बन्दियों की अरवाहे पाक को इस का सवाव पेश करते हैं या अल्लाह तू अपनी बारगाह में कुबूल फरमा| मख़्सूस तौर पर तेरे महबूब जनाबे मुहम्मर्दु रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके हज़रत इमाम जअफ़र सादिक रज़ियल्लाहु अन्हु की रूह को सवाब अता फ़रमा |

 आप के जुगलह अहले खाना और मुहिब्बीन और मुतवरिसलीन की अरवाह को इस का सवाब अता फ़रमा |

 या अल्लाह अपने उन तमाम महबूब बन्दों के सदक़ में बिल खुसूस हज़रत इमाम जअफ़र सादिक रज़ियल्लाहु अन्हु के वसीले से हम सब की ख़ताओं को मआफ़ फ़रमा |

 जालिमों के जुल्म से हमारी हिफ़ाज़त फ़रमा , शैतान के मवर व फ़रेब से महफूज फ़रमा , हमैं अपने माँ बाप की खिदमत करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा |

 और जिन जिन के वालिदैन इन्ततिकाल कर चुके हैं, उनकी मग़फ़िरत फ़रमा | या अल्लाह हमारी क़ौम की औरतों को इसलामी मुआशिरह इसलामी माहौल में ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा |

नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा , बीमारों से शिफ़ा अता फ़रमा और हमारी  बे औलाद माँ बहनों को नेक सॉलेह फ़रज़न्द अता फ़रमा |

या इलाही हम सब को सच्ची तौबा की तौफ़ीक़ अता फ़रमा | या अल्लाह हम सब के जान व माल , इज़्ज़त व आबरू की हिफ़ाज़त फ़रमा |

हमारी दुआओं कोअपनी बारगाह रिसालात मैं क़ुबूल फ़रमा | हम सब का ख़ातिमह ईमान पर नसीब फ़रमा| और हम और आपकी अल्लाह जाइज़ तमन्नायें पूरी फ़रमा | तमाम आफ़ात व मुसीबत से महफूज फ़रमा |

हम सब के घर में खैरो बरकत नाजिल फ़रमा । वसल्लल्लाहु तआला अला हबीबिहिल करीम वअला अलिही व असहाबिही अजमईन बिरहममितका या अरहमर्राहिमीन ।

कुंडे की फातिहा किस चीज पर दिलानी चाहिए | 

कुंडे  की फातिहा किसी भी हलाल और जायज चीज लेकर पढ़ी जा सकती है | ऐसा कुछ नहीं है कि कुंडे की फातिहा खीर और पूड़ी पर ही दी जाए|

लेकिन ज्यादातर हमारे इस्लामी भाई अपने घर पर पुड़ी और खीर बनाकर ही हजरत इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह की फातिहा कराते हैं |

अगर आप चाहें तो कुंड में गोश्त बनाकर उस पर भी फातिहा करा सकते हैं| ऐसा कुछ नहीं है कि उस पर फातिहा नहीं अगर आप चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं| मिस करता हूं क्या हुआ आप समझ गए होंगे कि कुंडू पर किस फातिहा दिला सकते हैं | या किन किन चीजों पर फातिहा करा सकते हैं|

kunde ki faatiha:-जिसने एक बार किया उसको हर साल करना जरूरी है क्या ?

kunde ki faatiha:-मुस्लिम भाइयों में ऐसी मान्यता है के कुंडे अगर  1 साल  करें तो हर साल करना जरूरी है इस बात में कितनी सच्चाई है आइए जानते हैं|

क्या हर साल हजरत इमाम जाफर सादिक की फातिहा करनी चाहिए अगर किसी वजह से नहीं करी तो भी कोई हर्ज नहीं है| अगर हम किसी वजह से हजरत इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह की फातिहा नहीं कर पाए तो यह सोचना बहुत ही गलत है क्या हजरत इमाम जाफर सादिक रजि अल्लाह हू  अब हमसे नाराज हो जाएंगे |

ऐसा अकेला अहले सुन्नत का नहीं हर साल याद में जो खाया या पकाया वही खिलाना हर साल पकाना जरूरी नहीं है|

कुंडे की पूरी खीर घर के किसी एक ही कमरे में एक दूसरे कमरे में नहीं खिलाया जाए या बाहर नहीं ले जा सकते यह सब वाहियात  बातें ऐसे खयालात मन में ना लाएं |

फातिहा का खाना किस वक्त खा और खिला सकते हैं ?

कुडे सुबह फजर की नमाज के बाद  मगरिब तक खिला सकते हैं और खा सकते हैं खाना खिलाने के बजाए खाने को दवाएं या फेंके नहीं|बल्कि हो सके तो बचे हुए खाने को  लोगों में तक्सीम करना बहुत ही जायज है और ऐसा करना मुस्तहिक़ सवाब का काम हैं | अब आप बहुत अच्छे से समझ गए होंगे कि फातिहा का खाना किस वक्त खाएं और लोगों में तक्सीम करके उनको खिलाए | फातिहा के खाने को आप किसी भी समय दिन हो या रात हो तक्सीम कर सकते हैं |

कुंडे की  फातिहा किस बर्तन में रखकर करानी चाहिए ?

फातिहा कराने के लिए जरूरी नहीं कि मिट्टी के बर्तन ही हो अगर आपके पास मिट्टी के बर्तन नहीं है तो आप किसी और बर्तन में भी रख कर फातिहा  दिला सकते  है|

फातिहा कराने के बाद कुंडो को नदी वगैरह में फेंकना नाजायज व गुनाह है और यह अपने माल को जाया करना है|कुंडो  को आप अपने किसी काम में लाएं अगर नहीं ला रहे हैं तो किसी जरूरतमंद को दे दीजिए |

यह सब रात में और ऐसी बहुत सारी रस्में विधते औरतों की मनगढ़ंत कहानियां और इनका इस्लाम में कोई ताल्लुक नहीं है आप ऐसी बातों पर ध्यान ना दें |

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मैं AR पिछले 4 साल से ब्लॉग्गिंग कर रहा हूं. मुझे ऑनलाइन शॉपिंग और प्रोडक्ट रिव्यू की जानकारी दिखाना और देखना बहुत अच्छा लगता है.

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