दोस्तों आज हम जानेंगे सना पढ़ने की फजीलत दोस्तों सना हमारे कुरान की एक सूरत है जिसकी काफी सारी पहली लाते हैं तो आज हम इसके बारे में बात करेंगे किस की क्या-क्या फजीलत हैं और इस से क्या-क्या फायदे हैं इसके बारे में पूरी तरह से जानेंगे तो आइए जानते हैं
सुबहानकल्लाहुम्मा वबि ‘हम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका व ला इलाहा ग़ैरुक यह थी नमाज में पढ़ी जाने वाली सना दुआ|
सना दुआ का तर्जुमा अब हम जानेंगे|
ए अल्लाह मैं तेरी हम्द तारीफ और पाकी सना बयान करता हूं और मुझे मालूम है कि सिर्फ तेरा ही नाम बरकत वाला है तेरी शान उम्दा है तेरे अलावा कोई माबूद नहीं|
Subhanakallahumma Wa Bi Hamdika Wa Tabara Kasmukaa Wa Ta ala Jadduka Wa La Ilaha Gairuk.
Glorious You Are With your praise,and blessed is your name and exalted is your majesty,and none has the right to be worshipped but you.
सना दुआ को हम हर नमाज में पढ़ते हैं इस दुआ को हम पहले रखत में तकबीर अल्लाहू अकबर बोलने के बाद और दोनों हाथ को बांधने के बाद तुरंत पढ़ते हैं सनम दुआ के पढ़ने के बाद हम सूरज खाते हो और फिर चारों कुल या कोई एक कुरान की सूरत पढ़कर बाकी नमाज को मुकम्मल करते हैं|
दुआ सना नमाज में पढ़ी जाने वाली एक दुआ है सना दुआ के पढ़ने के जरिए हम अल्लाह पाक की बढ़ाई करते हैं कि ए अल्लाह तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू बड़ी शान और बरकत वाला है|
सना एक दुआ है जिस तरह से इस्लाम में बहुत सारी दुआ हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने दिया और उसे अलग-अलग खास मौके भी पढ़ने का भी हो मुझे उसी तरह सुना दो नमाज शुरू करने के लिए पढ़ी जाती है|
सना दुआ नमाज में पढ़ी जाने वाली दुआ है जब नमाज का वक्त होता है तब नमाज के लिए जाते हैं चाहे कोई सी भी नमाज हो नमाज की नियत करने के बाद अल्लाह हू अकबर कहकर दोनों हाथ बांधने के बाद और उसके बाद सना पढ़ें|
सना दुआ अरबी में
سُبْـحانَكَ اللّهُـمَّ وَبِحَمْـدِكَ وَتَبارَكَ اسْمُـكَ وَتَعـالى جَـدُّكَ وَلا إِلهَ غَيْرُك
जब कोई शख्स नमाज के लिए खड़ा होता है अल्लाह के दरबार में एक अहम इबादत के लिए अल्लाह के सामने खड़ा होता है तो उसकी शुरुआत अल्लाह की तारीफ बढ़ाई और हम्द सना से करते हैं|
सना पढ़ना सुन्नत है या वाजिब?
नमाज में सना पढ़ना सुन्नत है|
सना पढ़ना किसके लिए जरूरी है?
सना एक दुआ है जो नमाज शुरू करने से पहले पढ़ी जाती है जो इमाम को भी पढ़ना चाहिए और उसके पीछे मुकद्दी को भी पढ़ना चाहिए इसके साथ जो अकेले नमाज पढ़ रहा है उसको भी सना पढ़ना चाहिए|
अगर नमाज में सना पढ़ना भूल जाए तो क्या करें?
अगर कोई शख्स नमाज मैं सना पढ़ना भूल जाए तो कोई गुनाह नहीं होता और सजदा साहू भी करने की जरूरत नहीं क्योंकि सजदा साहू वाजिब की होती है सुन्नत की नहीं|
अगर नमाज में पहुंचने में देर हो जाए और इमाम साहब सनम पढ़ चुके हो तो क्या करना चाहिए|
अगर कोई आदमी मस्जिद में देर से पहुंचता है और तब तक इमाम साहब सना के साथ सूरह फातिहा ही पढ़ चुके हैं तो मुकद्दी दो काम कर सकता है|
पहला अगर इमाम साहब किरात धीमी आवाज में पढ़ते हैं जैसे जोहर और असर की नमाज तो इसमें सना पढ़ा जाएगा|
दूसरा अगर नमाज जारी है यानी इमाम तेज आवाज से किरात पढ़ते हैं जैसे फजर मगरिब व इशा की नमाज़ तो आपको सना नहीं पढ़ना है बल्कि चुपचाप इमाम की सूरत सुनना है|
उम्मीद करते हैं आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी होगी अगर जानकारी अच्छी लगी तो इस आर्टिकल को लाइक कमेंट और शेयर करना ना भूले और नमाज पाबंदी से पढ़े दोस्तों नमाज मुसलमान के लिए काफी जरूरी है और हर मुसलमान पर नमाज फर्ज है|