अस्सलाम वालेकुम दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि बकरा हलाल करने की दुआ यानी कुर्बानी करने की दुआ कुर्बानी करने का तरीकाजो सही हदीस में साबित है वही आप लोगों को बताएंगे
जब भी कोई मुस्लिम भाई बकरे की कुर्बानी देता है तो उसे बकरा शिव करने की दुआ जरूर पढ़नी चाहिए कुरान पाक या हदीस में बकरा शिव करने की दुआ या जानवर जीबा करने की दुआ नहीं बताइए लेकिन कुराने पाक और हदीस में यह जरूर साबित होता है कि बकरे के कुर्बानी देते समय आपको बिस्मिल्लाह ही अल्लाह हू अकबर जरुर कहना है बिस्मिल्लाही अल्लाहू अकबर कहने के बाद आप कोई भी जानवर को सुन्नत तरीका से हल कर सकते हैं
बकरा जीबा करने से पहले आपको बकरा विवाह की नियत करना जरूरी है नीचे हम आपको नीयत बता रहे हैं वह नियत सभी जानवर विवाह करने से पहले की जाती है चल अब हम आपको जानवर जिबह करने की नियत के बारे में विस्तार से बताएंगे हमारे इस आर्टिकल को आप पूरा जरूर पढ़ें|
“नवैतु अन अज्बह हाजल हैवानी बिहैसू युखरिजू अन्हुद्द्मुल, मस्फुहू वतकुनु लह्मुहू हलालन्न| हिजमीइल्मुअमिनिन वल्मुअमिनाती मिस्मिल्लाही | अल्लोहू अकबर|”
Table of Contents
कुर्बानी क्यों की जाती है
कुराने करीम में दिया है की कुर्बानी करना अल्लाह के पैगंबर हजरत इब्राहिम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने एक रात एक सपना देखा जिसमें अल्लाह ताला ने उन्हें अपनी सबसे बेश कीमती चीज अपने सबसे करीबी प्यार को दान करने का आदेश दिया
जिस इंसान से वह बहुत प्यार करते थे उसे अल्लाह के रास्ते में विवाह करना हैजब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम नींद से जागे तो उन्होंने सबसे पहले सोचा मेरा सबसे और प्यार और सबसे अजीज क्या है
थोड़ी देर सोचने के बाद इब्राहिम अली सलाम समझ गए कि उनका इकलौता बेटा इस्माइल अलैहिस्सलाम उनका सबसे प्यारा और अजीज बेटा था क्योंकि वह उसे बहुत प्यार करते थे
इब्राहिम अलैहिस्सलाम के इकलौते बेटे इस्माइल अली सलाम की कुर्बानी देने का फैसला अल्लाह ने इस उम्मीद के साथ किया था कि इब्राहिम अली सलाम कबूल करेंगे इब्राहिम अली सलाम के लिए बहुत बड़ा इम्तिहान का समय था एक तरफ उन्हें अपने प्यारे बेटे के लिए प्यार था और दूसरी तरफ उन्हें अल्लाह का हुक्म भी था
जब हजरत इब्राहिम अली सलाम ने अपने प्यारे बेटे इस्माईल अलैहिस्सलाम को समझाया कि तुम्हें अल्लाह के लिए विवाह करना है क्योंकि अल्लाह का आदेश हैइस्माइल अलैहिस्सलाम हंसते और मुस्कुराते हुए अल्लाह की राह में कुर्बान होने के लिए तैयार हो गए
जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटा इस्माइल अलैहिस सलाम की राह में विवाह करने निकले तो थोड़ी देर दूर चलने के बाद हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे को केबल रुख में लिटाया और उनके गले में छुरी चलाई तो फिर अल्लाह तबाही बताना आसमान से एक दुबे को हजरत इस्माइल अलैहिस सलाम के जगह पर अपने कर्म से लिटा दिया और छोटी दुबे की गर्दन पर चल गई तो फिर अल्लाह तबारक बात अल्लाह ने फरमाया कि ए इब्राहिम अली सलाम मैं तुम्हारा इम्तहान और तुम्हारी परीक्षा लेना चाहता था
अल्लाह ताला ने कहा और अल्लाह तारा ने इब्राहिम अलैहिस्सलाम को दुंबा शिव करने के लिए कहा इसी तरह हजरत इब्राहिम अली सलाम जिन्होंने अल्लाह के लिए जुनून और प्यार दिखाया इसे देखकर अल्लाह ताला हर मुसलमान पर कुर्बानी को सुन्नत के कयामत तक हुक्म दे दिया
इस वाक्य के बाद इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है
- जिबह करने की दुआ Hindi
- बकरा जिबह करने की दुआ हिंदी में
- मुर्गी हलाल करने की दुआ हिंदी में
- कुर्बानी करने की दुआ अरबी में
- कुर्बानी करने की दुआ उर्दू में
- मुर्गी जिबह करने का नियम
- Qurbani Ki Dua aur Tarika
- जिबह करने की दुआ urdu
कुर्बानी करने का तरीका
कई लोग जानवर कुर्बानी की नीयत से खरीद कर तो ले आते हैं पर कुर्बानी करने का तरीका सुन्नत तरीका नहीं जानते हैं आज हम आपको कुर्बानी करने का सुन्नत तरीका बताएंगे
करजानवरदोनोंहो मतलब साफ है कि जब कुर्बानी के लिए जानवर को जमीन पर लिटाया जाए तो इसका मुंह काबा शरीफ की तरफ हो
कुर्बानी करने की नियत
दोस्तों यह तो हम सभी जानते हैं कि इस्लाम में किसी को भी कुर्बानी करने से पहले उसकी नियत करना बहुत जरूरी होता है इस्लाम में अगर आप कुर्बानी करने से पहले कुर्बानी की नियत नहीं करते हैं तो आपकी कुर्बानी को बोल नहीं होती है इस्लाम में कुर्बानी को एक वाजिब इबादत माना गया है और कुर्बानी देने से काफी ज्यादा सवाब है कि जब भी कोई मुसलमान कुर्बानी के जानवर को विवाह करने के लिए लाता है तो कुर्बानी करने के दौरान सबसे पहले कुर्बानी की दुआ को पढ़ा जाता है जब कुर्बानी की दुआ समाप्त होने वाली होती है तब अल्लाह हू अकबर पर तब छुरी तेजी से जानवर ज़िब्ह करके कुर्बानी को मुकम्मल करते हैं
कुर्बानी करने की दुआ हिंदी में
पहले की दुआ
इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ़ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफँव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन। ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन। अल्लाहुम्मा ल क व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर।
बाद की दुआ
अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
और अगर जानवर की कुर्बानी मिलबांट कर कर रहे हो मतलब अगर कुछ लोग एक साथ क़ुर्बानी कर रहे हैं
तो ‘मिन’ के बाद सब लोगो का नाम ले, जो इस क़ुरबानी में शरीक हैं
कुर्बानी किसकी तरफ से वाजिब है
कुर्बानी सिर्फ अपनी तरफ से वाजिब है औलाद की तरफ से नहीं बल्कि अगर नाबालिक औलाद मालदार हो तब भी उसकी तरफ से वाजिब नहीं ना अपने माल से ना उसके माल से
क्या कुर्बानी का गोश्त घर के किसी और मुस्लिम को दे सकते हैं
जी हां कुर्बानी का गोश्त किसी गैर मुस्लिम को भी दे सकते हैं इसी में कोई हार नहीं है कुरान पाक में सूरह हज: 28 में अल्लाह ताला फरमाते हैं कुरान के गोश्त को मोहताज और गरीबों को खिलाओ इस आयत में मुस्लिम या नॉन मुस्लिम का कोई जिक्र नहीं है जो भी गरीब मोहताज है उसको कुर्बानी का गोश्त खिला सकते हैं
कुर्बानी किस टाइम करनी चाहिए
जिन शहरों या गांव में ईद बकरा ईद की नमाज होती है वहां पर बकरा ईद की नमाज से पहले कुर्बानी जायज नहीं है और जहां पर बकरा ईद की नमाज नहीं होती है वहां बकरा ईद की सुबह से कुर्बानी कर सकते हैं
कुर्बानी का टाइम 10 ZILHIJJAH (बकरा ईद के दिन) से शुरू होकर तीसरे दिन असर की नमाज तक रहता है
उम्मीद करती हूं कि मेरा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा ऐसे ही इस्लामी जानकारी जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहिए अगर आपको हमारा यहलेख पसंद आया है तो हमारे इस लेख को लाइक कमेंट और शेयर करना ना भूले धन्यवाद