अस्सलाम वालेकुम प्यारी बहनों भाइयों आज हम आपको बताने वाले हैं की फातिहा देने का सही तरीका क्या है और फातिहा कैसे देते हैं चलिए जानते हैं |
हर मुसलमान बहन भाई को सीखना चाहिए फातिहा देने का सही तरीका अगर आप भी फातिहा देने का सही तरीका सीखना चाहते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं देने का सही तरीका क्या है |
दोस्तों फातिहा देने का एक ही तरीका है फातिहा खुशी के मौके पर भी दी जाती है और वन के मौके पर भी दी जाती है खुशी के मौके पर करने की नीयत से की जाती है |
और बम के मौके पर सब्र करने की नीयत से की जाती है दोनों सूरत में फातिहा देने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं
अल्लाह ताला हमें सब्र दे खुशियां दे और हमारे जो बड़े इस दुनिया से गुजर चुके हैं उन्हें राहत दे |
- फातिहा पढ़ने का तरीका हिंदी में
- फातिहा में क्या क्या पढ़ा जाता है
- फातिहा हिंदी में लिखी हुई
- फातिहा का आसान तरीका
- फातिहा की दुआ बख्शने का तरीका इन हिंदी
- फातिहा करने का तरीका सुन्नी इन हिंदी
- कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने का तरीका
फातिहा क्यों पड़ी जाती है ?
फातिहा ख्वानी जरिए मरहूम को इसाले सवाब पहुंचाने के लिए दी जाती है जो इस दुनिया से गुजर गए हैं उसने दुनिया में जो अमल किए हैं उनका हिसाब किताब करने के बाद होगा मरहूम के लिए इस वाले जवाब करने के लिए जब कुरान की आयतें पढ़ी जाती है
और नबी यह करीम पर दरूद भेजा जाता है और मरहूम के लिए दुआ की जाती है तो अल्लाह ताला अपनी फ़ज़ल से महू को कब्र के आजाब से बचाता है और मरहूम को जन्नत अता फरमाता है |
जो इस दुनिया से जा चुके हैं बड़े उनको सवाब भेजने के लिए फातिहा दी जाती है|
फातिहा कैसे दी जाती है ?
सबसे पहले आप बवासीर पर काबे की तरफ रुख करके बैठ जाए|उसके बाद जा नमाज बिछाए|फिर आप जिस भी चीज पर फातिहा दे रहे हैं उस चीज को सामने रखें|
फातिहा देने से पहले अगरबत्ती जला देना चाहिए| फातिहा देते वक्त चिरागी के साथ में रख देना चाहिए|फातिहा खत्म हो जाने के बाद आपको यह पैसा किसी गरीब फकीर को दे देना चाहिए|
चिरागी का पैसा तबर्रुक के पास रखें उसके बाद ही फातिहा देना शुरू करें|
सबसे पहले अल्हम्दुलिल्लाह रब्बिल अलामिन मसाला वस्सलातु वस्सलामु अला आलिहि व असहाबिहि अजमईन | पड़े|
फिर उसके बाद एक बार आयतल कुर्सी पढ़ें एक बार सूरत मुत्ततका पड़े|एक मर्तबा सूरह काफिरून पड़े |
तीन मर्तबा पड़े फिर सूरत फलक इसी तरीके से सूरह नास एक बार पढ़ें|
एक मर्तबा सूरह फातिहा पढ़ा फिर सूरह बकरा एक बार पढ़ें उसके बाद दुरूद ए तक एक बार पड़े|
फिर इसके बाद अल्लाह से दुआ मांगे दुआ मांगने के बाद फातिहा का तरीका आपका पूरा मुकम्मल हो चुका है|
कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने का सही तरीका क्या है ?
कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने का सही तरीका क्या है चलिए जानते हैं कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ने का तरीका इस दुनिया में जो भी इंसान पैदा हुए हैं
और जो भी इंसान इस दुनिया से रुखसत हो चुके हैं वह अपनी मगफिरत चाहते हैं ऐसे में आपको अपने खानदान से लेकर जो भी दुनिया से जा चुके हैं उनकी मगफिरत के लिए कब्रिस्तान में जाकर उनके मगफिरत के लिए दुआ करनी चाहिए |
जिसे जो उन्होंने दुनिया में जो भी अमल किए हैं या उनसे जाने अनजाने में जो भी गुनाह हो गए हो अल्लाह उन्हें इसलिए मैं आपको कब्रिस्तान में जाकर फातिहा पढ़ने चाहिए|
कब्रिस्तान में फातिहा देते समय क्या पढ़ा जाता है |
सबसे पहले आपको कब्रिस्तान में जाने के लिए आपको पाक साफ होकर जाना चाहिए वजू करने के बाद कब्रिस्तान में दाखिल होना चाहिए|
अब आप कब्रिस्तान में दाखिल होने के बाद सबसे पहले सलाम करें अस्सलामु वालेकुम व रहमतुल्लाह व बर्कातुहू बरकातुह
सलाम करने के बाद अब आपके खानदान में या परिवार में जो भी मरहम है उनकी कब्र की तरफ रख कर कर खड़े होना है उसके बाद दरूद शरीफ 11 बार पढ़ना है|
फिर उसके बाद अलिफ लाम मीम जो याद हो आपको पढ़ना चाहिए|यह पढ़ने के बाद सूरत काफी रूम एक मर्तबा पढ़ना चाहिए फिर उसके बाद सूरत के खिलाफ सूरज फलक सूरत यासीन याद हो तो पड़े और सूरह फातिहा एक मर्तबा पढ़ना चाहिए |
फिर आपको आयतल कुर्सी सूरह बकरा का आखिरी 2 आए थे याद हूं तो पढ़ ले इसे पढ़ना अफजल माना जाता है फिर आखिर में 11 बार दुरूद शरीफ पढ़ें|
फिर उसके बाद अल्लाह पाक की रहमत के लिए अल्लाह की बारगाह में दुआ ए मकबरा के लिए दुआ करें कब्रिस्तान में फातिहा पढ़कर दुआ मांगे |
कब्रिस्तान में मगफिरत की दुआ कैसे करते हैं ?
कब्रिस्तान में मगफिरत की दुआ करने से पहले फातिहा पढ़ने हैं इसके बाद अल्लाह पाक की रहमत के लिए अल्लाह की बारगाह में मगफिरत की दुआ करते हैं|
ए अल्लाह तू रहीम है, तू करीम है तू पाक बेनियाज है तू गहफुरु रहीम है तेरे सिवा ‘या मेरे अल्लाह कोई इबादत के लायक नहीं ‘या अल्लाह तू सारें जहाँ का मालिक है – इसके बाद तीन मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़े फिर अब उसके बाद नीचे जैसे बताया गया है ठीक वैसे मगफिरत की दुआ मांगे|
या अल्लाह हमारे खानदान में जितने भी लोग गुजरे हैं दादा-दादी और भी लोग जो भी गुजरे हैं उन सब की मगफिरत अता फरमा इसके बाद तीन पाक बार दुरूद शरीफ पढ़ ले इस तरह मकरत की दुआ पूरी हुई|
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