Table of Contents
नींबू का उपयोग कहां कहां किया जाता है
एक रसीला फल है। इसमें सिट्रिक अम्ल अधिक होता है। यह क्षारीय दृष्टि से एक अपरिहार्य फल है। नींबू का अचार भी डाला जाता है। नींबू के रस के बिना गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी, प्याज आदि के सलाद को स्वाद (टेस्ट) नहीं होता हैं। नमक आदि से निर्मित चटनी में नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से भूख लगती है और पाचन क्रिया तीव्र होती हैं। नींबू मीठे, कुछ कड़वाहट लिए हुए तथा कागजी नींबू खट्टे होते हैं। गर्मी के मौसम में नींबू के रस का शर्बत बनाकर पिया जाता है।
रंग कच्चा नींबू हरा और पक जाने पर पीला हो जाता है।
स्वरूप : नींबू के छोटे झाड़ीनुमा कंटीले पेड़ होते हैं। नींबू की पत्तियां छोटी होती हैं। पत्तियों को मसलने पर खुशबू आती है। इसके फूल भी सुगंधित होते हैं। नींबू का फल गोल, चिकने, कच्चेपन में हरे और पकने में पीले रंग के हो जाते हैं।
नींबू में पाए जाने वाले तत्व : नींबू के फल में सिट्रिक एसिड, फास्फोरिक एसिड, मेलिक एसिड और शर्करा आदि तत्व पाये जाते हैं। नींबू के फल में तेल तथा तिक्त स्फटिकीय ग्लूकोसाइड हेस्पेरिडिन (विशेष रूप से छिलके के सफेद भाग) में पाया जाता है।
तत्व मात्रा तत्व मात्रा : प्रोटीन 1 प्रतिशत विटामिन-सी 39 मिलीग्राम/100 ग्राम वसा 0.9 प्रतिशत लौह 2.3 मिलीग्राम/100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 11.1 प्रतिशत फास्फोरस 0.03 प्रतिशत पानी 8.5 प्रतिशत कैल्शियम 0.07 प्रतिशत रेशा 1.8 प्रतिशत अन्य विटामिन व खनिज अल्प मात्रा में
हानिकारक : पेट में घाव, पैरों के जोड़ों में दर्द, गले की टॉन्सिल, चक्कर आना तथा निम्न रक्तचाप वाले रोगियों को नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए। कमजोर यकृत (लीवर) वाले रोगी यदि नींबू का सेवन करते हैं तो उनके हाथ पैरों में तनाव पैदा होता है और निर्बलता (कमजोरी) बढ़ती जाती है। यदि नींबू का सेवन जारी रहता है तो बुखार आता है। खांसी होने पर खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे करने से खांसी बढ़ती जाती है।
गुण : नींबू त्रिदोष नाशक (वात, पित्त और कफ को नष्ट करने वाला), दीपक-पाचक (भोजन को पचाने वाला), क्षय (टी.बी.), हैजा (विसूचिका), गृहबाधा निवारक, रुचिकारक (भूख को बढ़ाने वाला) और दर्द में लाभ देता है। नींबू के रस को पीने से रक्तपित्त (खूनी पित्त), स्कर्वी रोग में लाभ होता हैं। नींबू के फल की छाल को खाने से वायु (गैस) शान्त होती है। नींबू का रस हृदय के लिए लाभकारी, ज्वर (बुखार) को कम करने वाला और मूत्रजनन (पेशाब को लाने वाला) होता है। नींबू के रस को चीनी के साथ सेवन करने से अफारा (गैस का बनना), बदबू, डकारें, उदर शूल (पेट में दर्द) और उल्टी आदि विकार दूर हो जाते हैं। नींबू पित्त, मलस्तम्भक (मल को रोकना), कब्ज, गांठे, जोड़ों का दर्द (आमवात), कंठशूल (गले का दर्द) और जहर में लाभकारी है। नींबू का रस आमाशय, आंतों और खून की अम्लता (एसिडिटीज) की अधिकता को कम कर देता है जिससे स्नायु का दर्द और अधिक कमजोरी दूर होती है।