हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी में कुल मिलाकर 33 कशेरुकाएं होती हैं जिसमें 7 कशेरुकाएं गर्दन से सम्बन्धित होती हैं। इन कशेरुकाओं को सरवाइकल वर्टिबा कहते हैं। इन कशेरुकाओं से निकली वातनाड़ियां मस्तिष्क, आंख, नाक, कान, माथा, मुंह, दांत, तालु, जीभ, थाइरायड ग्रंथि तथा कुहनियों का संचालन करती हैं। इसलिए यदि गर्दन में कोई रोग हो जाता है तो इसका प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर भी पड़ता है।
गर्दन में दर्द होने के लक्षण-
इस रोग के हो जाने पर गर्दन में अकड़न व दर्द होना शुरू हो जाता है। कुछ समय बाद गर्दन में धीरे-धीरे दर्द तथा अकड़न बढ़ती जाती है। इस रोग के कारण दर्द कभी कंधे व सिर व दोनों बाजुओं में शुरू हो जाता है। इस रोग के कारण रोगी की एक या दोनों बाजुओं में सुन्नता होने लगती है। जिसके कारण रोगी को सब्जी काटने या लिखने से कठिनाई महसूस होती है, सिर में चक्कर भी आने लगते हैं, हाथ पैरों की पकड़ कमजोर पड़ जाती है तथा गर्दन को इधर-उधर घुमाने में परेशानी होने लगती है। इस रोग के कारण रोगी को बेचैनी जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।
गर्दन में दर्द होने के कारण-
अपने भोजन में तली-भुनी, ठण्डी-बासी या मसालेदार पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
गर्दन में दर्द गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से भी हो जाता है जैसे-खड़े रहना या कूबड़ निकालकर बैठना।
भोजन में खनिज लवण तथा विटामिनों की कमी रहने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है।
कब्ज बनने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
पाचनशक्ति में गड़बड़ी हो जाने के कारण गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
अधिक चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, शोक या मानसिक तनाव की वजह से भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
किसी दुर्घटना आदि में किसी प्रकार से गर्दन पर चोट लग जाने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
अधिक शारीरिक कार्य करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
मोटे गद्दे तथा नर्म गद्दे पर सोने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
गर्दन का अधिक कार्यो में इस्तेमाल करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
अधिक देर तक झुककर कार्य करने से गर्दन में दर्द हो सकता है।
व्यायाम न करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
अधिक दवाइयों का सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
शारीरिक कार्य न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
चिंता, क्रोध, मानसिक तनाव, ईर्ष्या तथा शोक आदि के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
किसी दुर्घटना में गर्दन पर चोट लगने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
गर्दन के दर्द को प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक करने के लिए उपचार-
गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले रोगी के गलत खान-पान के तरीकों को दूर करना चाहिए और फिर रोगी का उपचार करना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम का बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए ताकि हडि्डयों का विकास सही तरीके से हो सके और हडि्डयों में कोई रोग पैदा न हो सके।
शरीर में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम मात्रा को बनाये रखने के लिए व्यक्ति को अपने भोजन में गाजर, नीबू, आंवला, मेथी, टमाटर, मूली आदि सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। फलों में रोगी को संतरा, सेब, अंगूर, पपीता, मौसमी तथा चीकू का सेवन अधिक करना चाहिए।
गर्दन में दर्द से पीड़ित व्यक्ति को चोकरयुक्त रोटी व अंकुरित खाना देने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के ही एक भाग जल चिकित्सा का सहारा लिया जा सकता है। इस उपचार के द्वारा रोगी को स्टीमबाथ (भापस्नान) कराया जाता है और उसकी गर्दन पर गरम-पट्टी का सेंक करते है तथा इसके बाद रोगी को रीढ़ स्नान कराया जाता है जिसके फलस्वरूप रोगी की गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी के शरीर में रक्त-संचालन (खून का प्रवाह) बढ़ जाता है और रोमकूपों द्वारा विजातीय पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिसके फलस्वरूप रोगी की गर्दन का दर्द तथा अकड़न होना दूर हो जाती है।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए सूर्य किरणों द्वारा बनाए गए लाल व नारंगी जल का उपयोग करने से रोगी को बहुत अधिक फायदा होता है। सूर्य की किरणों में हडि्डयों को मजबूत करने के लिए विटामिन `डी` होता है। सूर्य की किरणों से शरीर में विटामिन `डी` को लेने के लिए रोगी को पेट के बल खुले स्थान पर जहां पर सूर्य की किरणें पड़ रही हो उस स्थान पर लेटना चाहिए। ताकि सूर्य की किरणें सीधी उसकी गर्दन व रीढ़ की हड्डी पर पड़े। इस क्रिया को करते समय सिर पर कोई कपड़ा रख लेना चाहिए ताकि सिर पर छाया रहें।
गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए रोगी की गर्दन पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। मालिश करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि मालिश हमेशा हल्के हाथों से करनी चाहिए। मालिश यदि सूर्य की रोशनी के सामने करें तो रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
योगासन के द्वारा भी गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक किया जा सकता है। योगासन द्वारा गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए सबसे पहले गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और फिर धीरे-धीरे गर्दन को आगे की ओर झुकाएं। फिर ठोड़ी को कंठ कूप से लगाएं। इसके कुछ देर बाद गर्दन को दाएं से बाएं तथा फिर बाएं से दाएं हल्के झटके के साथ घुमाएं।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए भुजंगासन, धनुरासन या फिर सर्पासन करना लाभकारी रहता है।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करें।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना सुबह के समय में खुली ताजी हवा में घूमें।
गर्दन में दर्द होने पर इसका उपचार करने के लिए सबसे पहले गर्दन में दर्द होने के कारणों को दूर करना चाहिए।
योगाभ्यास तथा विशेष व्यायाम से गर्दन के दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।
गर्दन के दर्द से पीड़ित रोगी को अपने कंधों को ऊपर से नीचे की ओर करना।
कंधों को सामने तथा पीछे की ओर गतिशील करना चाहिए इससे गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।
कंधों को घड़ी की दिशा में सीधी तथा उल्टी दिशा में घुमाना चाहिए जिससे गर्दन कां दर्द ठीक हो जाता है।
गर्दन से पीड़ित रोगी को अपनी उंगुलियों को गर्दन के पीछे आपस में फंसाना चाहिए और फिर फंसी उंगुलियों की तरफ दबाव देते हुए अपने कोहनी को आगे से पीछे की ओर गतिशील करना चाहिए जिसके फलस्वरूप गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।
गर्दन से पीड़ित रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी´, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करना चाहिए।
संतरा, सेब, मौसमी, अंगूर तथा पपीता व चीकू का उपयोग भोजन में अधिक करना चाहिए।
गर्दन में दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए कुछ सावधानियां-
सोने के लिए व्यक्ति को सख्त तख्त का ही प्रयोग करना चाहिए।
सोते समय गर्दन के नीचे तकिए का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
किसी भी कार्य को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को तनी हुई और बिल्कुल सीधी रखनी चाहिए।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न का उपचार करते समय अधिक सोच-विचार नहीं करना चाहिए।
गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए वह कार्य नहीं करना चाहिए जिससे गर्दन या आंखों पर अधिक बोझ या तनाव पड़े।
गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए प्रतिदिन 6 से 8 घण्टे की तनाव रहित नींद लेना बहुत ही जरूरी है।
गर्दन के दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए यह ध्यान देना चाहिए कि यदि खड़े है तो तनकर खड़े हो तो अपनी पीठ सीधी रखनी चाहिए।
आगे की ओर झुककर किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए।
जानकारी-
इस प्रकार से कुछ नियमों का अपने जीवन में प्रयोग करने से गर्दन में कभी भी दर्द तथा अकड़न नहीं होता है। यदि गर्दन में दर्द तथा अकड़न हो भी गई है तो संतुलित भोजन का सेवन करके तथा प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करके जल्दी ही इस रोग को ठीक किया जा सकता है।